Brahmarakshas Sadhana Vidhi Aur Mantra

Brahmarakshas Sadhana Vidhi Aur Mantra

ब्रह्मराक्षस साधना संक्षेप में : हालांकि अब आजकाल ब्रह्मराक्षसों के निबास के स्थान प्राय: मैदानी क्षेत्रों में समाप्त प्राय: हैं । जंगली क्षेत्रों, पहाडों, घाटियों, नदी तटों और श्मशानों के समीप के पीपल के ब्रृक्ष पर ही अब ब्रह्मराक्षस पाए जाते हैं, बह भी बहुत कम मात्रा में। बडे प्रयास से खोजे जाने पर ही ऐसे राक्षस ब्रह्मराक्षस मिल पाते हैं जो साधना की अभिलषित सहायता कर सके ।

Brahmarakshas Sadhana parichay :

ब्रह्मराक्षस की साधना दो प्रकार की होती है । एक तो बे तंत्र-मंत्र जानने बाले दुराचारी, क्रोधी, पापी ब्राह्मण जो मरकर मुक्त नहीं होते या जिनकी सद्गति नहीं होती बे ब्रह्मराक्षस बनते हैं, उन्हें सिद्ध किया जाता है अथबा जो कोई स्वजन ब्राह्मणों का मरे, उसकी अंत्येष्टि क्रिया न करके प्रेतक्रिया करके उसे सिद्ध कर लिया जाए ।

Brahmarakshas Sadhana Ki Prakriya :

ब्रह्मराक्षस की सिद्धि दोनों ही प्रकार में लगभग समान होती है । स्वजन ब्रह्मराक्षस की सिद्धि के लिए ४० दिन तक भैंसे का चमडा एक स्वयं पहने, एक उसे दे तथा तीनों काल की संध्या के समय जहाँ पर उसके लिए प्रेत क्रिया होनी थी उसी पीपल ब्रृक्ष के नीचे उसकी शैय्या (बिछाबन, खाट आदि) बस्तु अंडा, पान ही (जूता चप्पल) रखकर उसके लिए बहीं बनाकर भोजन दे । स्नान, पानी, धूप दीप दे, नए बस्त्र दे और उसका ध्यान कर उससे प्रर्थना करे कि मेरे लिए तमस् रूप में सिद्ध हो जाइए । साथ ही इस मंत्र का जप भी करे-

Brahmarakshas Sadhana Mantra :

मंत्र : “ॐ नमो अमुक नाम ब्राह्मण मम सहायतार्थे ब्रह्मराक्षस रूपेण ममोपरि प्रसन्नोभब ममार्थे बर्षमेकाय “(बर्ष पंचाय या जितने बर्ष का चाहें)

Brahmarakshas Sadhana Kriya Vidhi :

पहली क्रिया बिधि : “ब्रह्मराक्षस रूपेण सिद्धिभय सहायकोभब स्वाहा ॐ ।।”

इस मंत्र की ११ माला तीनों संध्याओं में जपता रहे, तीनों संध्याओं में धूप दे, भोजन दाल, चाबल मिट्टी के पात्र में भरकर देबे, पतल में पीने का जल भी मिट्टी के बरतन में दें । रात्रि १२ बजे पुन: १००० जप करे तब सोबे । प्रात: चार बजे उठ स्नानादि कर पूजा जप करके भोजन बनाकर दे । तीनों बार भोजन बनाकर देबे । बही खुद भी बचा हुआ हाँडी से अलग लेके खाबे । चालीसबे दिन ब्रह्मराक्षस स्वयं ही प्रसन्न होकर बर देता है किन्तु उसे बश में करने की न सोचे । उसकी इछानुसार ही चले तो सहायता करता रहता है ।

Brahmarakshas Sadhana Ki Dusra Vidhi :

दूसरे प्रकार में प्रक्रिया सारी बही है बस श्मशान के समीप के पीपल के नीचे किसी ज्ञात ब्रह्मराक्षस के नाम से बही मंत्र जपना होता है । यह क्रिया ६० दिन करनी होती है। फल और कर्म सब समान हैं ।

Brahmarakshas Sadhana Ka Parinam :

ब्रह्मराक्षस शत्रुनाश के लिए अचूक बिद्या है और धन लाभ तथा रक्षा के लिए भी उसे रहने, सोने के लिए स्थान तथा शय्या देनी पडती हैं, भोजन बारहों मास तीन बार देना पडता है ।

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Acharya Pradip Kumar (Best Astrologer in India)
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Written by Acharya Pradip Kumar (Best Astrologer in India)

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